हैकर्स के लिए बन रहा ‘काल’ Google का ये AI एजेंट, साइबर अटैक को ऐसे नाकाम करता है
Google का AI एजेंट Big Sleep अब साइबर हमलों को अंजाम देने से पहले ही उन्हें रोक रहा है। यह AI एजेंट सुरक्षा कमजोरियों को पहचानकर डेटा लीक और बड़े नुकसान से बचाने में सफल हो रहा है।

Google का AI एजेंट बना साइबर सुरक्षा का नया हथियार
तेज़ी से बढ़ रहे साइबर अटैक्स के दौर में अब Google का AI एजेंट ‘Big Sleep’ एक गेमचेंजर साबित हो रहा है। यह AI न सिर्फ खतरों की पहचान करता है, बल्कि अटैक होने से पहले ही उन्हें नाकाम कर देता है। Google की तरफ से पेश यह टूल साइबर सुरक्षा की दुनिया में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है।
कैसे काम करता है Google का AI एजेंट Big Sleep?
Google DeepMind और Project Zero की टीम द्वारा विकसित Big Sleep, मशीन लर्निंग और थ्रेट डिटेक्शन तकनीकों का इस्तेमाल करता है। यह सिस्टम में मौजूद छोटी से छोटी कमजोरियों को भी पकड़ लेता है, जिससे कंपनियां समय रहते उन खतरों को खत्म कर पाती हैं।
- यह एजेंट लगातार सिस्टम को मॉनिटर करता है
- जैसे ही कोई सुरक्षा खामी सामने आती है, यह तुरंत एक्शन लेता है
- SQLite जैसी पॉपुलर डेटाबेस टेक्नोलॉजी में भी इसने गड़बड़ियों का पता लगाया है
सुंदर पिचाई ने दी जानकारी
Google के CEO सुंदर पिचाई ने X (पूर्व में ट्विटर) पर बताया कि Big Sleep ने डेटाबेस इंजन SQLite में एक गंभीर खामी को समय रहते पकड़ लिया। अगर ऐसा न होता, तो करोड़ों यूज़र्स के डेटा को खतरा हो सकता था।
यह एक संकेत है कि अब AI न केवल सहायक के रूप में बल्कि सुरक्षा के मुख्य स्तंभ के रूप में उभर रहा है।
क्या है Google की नई साइबर सुरक्षा रणनीति?
Google अब Reactive की बजाय Proactive साइबर डिफेंस रणनीति पर काम कर रहा है। मतलब, पहले खतरा हो तब एक्शन लेने की बजाय अब खतरे से पहले ही उसके संकेत पहचानकर कार्रवाई की जा रही है।
Big Sleep इसी रणनीति का हिस्सा है। यह एक Active Monitoring Agent की तरह काम करता है जो संभावित खतरों को समय रहते डिटेक्ट करता है और तुरंत रिस्पॉन्स करता है।
सिर्फ Big Sleep ही नहीं, और भी AI टूल्स तैयार
Google फिलहाल Big Sleep के अलावा और भी एडवांस AI टूल्स पर काम कर रहा है:
- FACADE: यह एक साइबर इंटेलिजेंस फ्रेमवर्क है
- Timesketch: एक कोलेबरेटिव डिजिटल फोरेंसिक प्लेटफॉर्म है जो हमलों की जांच में मदद करता है
इन सभी टूल्स का उद्देश्य है साइबर क्राइम को शुरुआती स्तर पर ही रोक देना।
भविष्य में क्या बदलाव ला सकते हैं AI एजेंट?
जैसे-जैसे AI एजेंट्स डेवलप हो रहे हैं, Google का मानना है कि आने वाले वक्त में ये तकनीकें न सिर्फ लोगों की मदद करेंगी बल्कि साइबर हमलों की पहली दीवार बन जाएंगी।
AI अब सिर्फ रिएक्शन नहीं बल्कि पहले से प्लान की गई साइबर सुरक्षा का आधार बन रहा है। कंपनियां अरबों डॉलर AI डिफेंस में लगा रही हैं, और Big Sleep जैसे टूल्स इस निवेश को सही साबित कर रहे हैं।
क्या AI बन रहा है साइबर शील्ड?
साफ है कि Big Sleep जैसे AI टूल्स से Google की साइबर सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव आया है। अब हमलों का इंतजार नहीं किया जा रहा, बल्कि उनसे पहले ही निपटने की तैयारी है। आने वाले समय में ये AI एजेंट्स इंटरनेट की दुनिया में हैकर्स से मुकाबला करने की पहली पंक्ति में होंगे।